उनका बचपन बस बीता ही था, उनके साथी जब पढ़ाई और परीक्षा के बारे में सोच रहे थे, वह क्रांति की मशाल रौशन कर रहे थे, जिस उम्र में लोग जिंदगी के हसीन ख्वाब बुनते हैं, वह वतन पर निसार होने का जज्बा लिए हाथ में गीता लेकर फांसी के फंदे की तरफ बढ़ गए और देश की आजादी के रास्ते में अपनी शहादत का दीप जलाया। यह थे अमर शहीद खुदीराम बोस।
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